आओ मौजूदा शिक्षा मॉडल के बारे में बात करीं जेकरा में कई चुनौतियन शामिल बा:
- सबके सिखावे खातिर पर्याप्त स्कूल, शिक्षक, स्टाफ, आदि नइखे। हमेशा पीछे चलत बा।
- वर्तमान शिक्षा प्रणाली लोगन के एके सांचे में ढाले के कोशिश करेला बजाय हर व्यक्ति के अद्वितीय प्रतिभा के पहचान के। अगर हर बच्चा आपन वो जुनून के पीछा करीं जे भगवान उनकरा में डलले बा, त समाज एकदम संतुलित हो जाई, काहेकि भगवान जानत रहलन कि समाज खातिर केतना का बनावे के बा।
- स्कूल जाए खातिर लागे वाला धन आ समय के चलते एक हावे आ एक ना हावे वाला प्रणाली बन गइल बा।
- बच्चा खुद से सोचल ना सीखे ला, बल्कि मौजूदा ज्ञान के रटले के आधार पर ग्रेड मिलेला।
- कई साल के पढ़ाई के बादो, विद्यार्थी अक्सर व्यावहारिक कौशल से वंचित रह जाले।
- विद्यार्थी 10-12 साल के बुनियादी शिक्षा के अलावा, एक पेशा सिखे में भी साल बिता देले।
- वर्तमान प्रणाली रचनात्मकता के खत्म कर देले आ बच्चा के वयस्क जइसन बना देले, जे पुरान प्रणाली के विजेता आ हारल, किताब के ज्ञान बनाम प्रयोग आ "हम अच्छा नइखीं" के भावना के दर्शावेला।
- ज्यादातर शिक्षा जे छात्र प्राप्त करेला, भूल जाला काहेकि ओकरा के कभी लागू या उपयोग ना कइल जाला।
- छात्र अक्सर आत्मविश्वास के कमी महसूस करेला काहेकि ऊ एक या दू विषय में अच्छा हो सकेला, लेकिन उनकरा बतावल जाला कि ऊ दूसर विषय में अच्छा नइखन।
- प्रणाली महंगा बा बनाए में, आ जल्दी छोड़ देवे वाला छात्र के कवनो महत्व नइखे, जबकि जे पूरा करेला ऊ अक्सर आत्मविश्वास आ व्यावहारिक कौशल से वंचित रह जाला।
- बच्चा हर चीज के थोड़ा-थोड़ा जान जाला लेकिन कवनो में माहिर नइखे बन पावत, अक्सर जे सीखे ला ऊ भूल जाला काहेकि ओकरा के लागू नइखे कइल जाला, जेकरा चलते शिक्षा बेकार हो जाला।
भविष्य के स्कूल का होई?
- भविष्य के स्कूल में शिक्षक नइखन। सब ग्रेड स्तर के बच्चा एक-दूसरा के सिखावेला, बच्चा आ वयस्क दुनों खातिर खुला बा। पाठ्यक्रम उपलब्ध बा जे मानसिक नक्शा देला, लेकिन हर विद्यार्थी के यात्रा खुद के दिशा में बा। सलाह खातिर मार्गदर्शक उपलब्ध बा जे कहां से शुरू करीं, सवाल के जवाब देवे ला, आ व्यावहारिक नौकरी के कौशल सिखावे ला।
- बच्चा आपन जुनून के पीछा करेला, ओह चीज के सिखे ला जे ऊ सिखे चाहेला, ओह जुनून के जे भगवान उनकरा में डालले बा संतुलित समाज बनावे खातिर। भगवान हमनी के अलग-अलग जुनून दिहले बा जेकरा से जरूरत के अनुसार समाज में संतुलन बन सके, आ स्कूल ओह व्यक्तिगत जुनून के उपयोग करेला।
- विद्यार्थी अपना खुद के पाठ्यक्रम निर्धारित करेला, एक या दू विषय पर एक समय में ध्यान देके माहिर बन जाला।
- पहिला विषय में माहिर बनला से आत्मविश्वास बनेला, जे विद्यार्थी के नया विषय में भी ओही माहिरता से निपटे खातिर प्रोत्साहित करेला।
- काहेकि सीखल जुनून से प्रेरित बा, माहिरता स्वाभाविक आ बिना प्रयास के आ जाला, जेकरा से विद्यार्थी के जीवन यापन करे के कौशल मिलेला।
- ई तरीका से विद्यार्थी जल्दी से अपना कला में माहिर बनके गर्व महसूस करेला।
- धन आसानी से इन विद्यार्थी तक पहुंचेला काहेकि ऊ अपना काम में माहिर आ आनंदित रहेला, जे जुनून भगवान उनकरा में डालले रहलन ओकरा के अपनाके।
- स्कूल ज्ञान साझा करे वाला वातावरण बन जाला जहां बच्चा, विद्यार्थी आ वयस्क स्वतंत्र रूप से ज्ञान के आदान-प्रदान करेला। हर क्षेत्र के पास एक पाठ्यक्रम मार्गदर्शिका बा जेकरा में वीडियो आ ट्यूटोरियल बा। हालांकि, विद्यार्थी जिम्मेदार बा पाठ्यक्रम सामग्री के अद्यतन आ समान विचारधारा वाला विद्यार्थी के साथ स्थानीय आ वैश्विक स्तर पर साझा करे खातिर।
उदाहरण